देश के बाहर आप चाहें आप लाख बेहतर कर लें. व्यवसाय करें, शिक्षण में नाम करें, लेकिन थोड़ा ठहर कर ही सही, देश और माटी की याद तो आती ही है। यह याद आपको उस माटी का कर्ज चुकाने को भी पुकारती है। ऐसा ही कुछ हुआ है मेरे साथ।
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अपने लंबे विदेश प्रवास के जब मधुबनी वापस लौटा, तो पाया की मेरा मधुबनी समय के साथ आगे नहीं बढ़ पाया है। आधुनिक टेक्नोलाजी के युग में मधुबनी की जनता अक्षम राजनीतिक नेतृत्व, जातिवाद और समाज के हर स्तर पर व्याप्त दीमक-रूपी भ्रष्टाचार के कारण पिछड़ेपन से ग्रसित है।
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मेरी सोच मधुबनी की जनता को आर्थिक तौर पर समृद्ध करने की है। इसके लिए अपने स्तर पर व्यक्तिगत नेटवर्क के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षित कर रहा हूँ।
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मेरा लक्ष्य है कि अगले 05 वर्ष में मधुबनी में प्रति व्यक्ति मासिक आय - जो की वर्तमान में 3750 रुपए है - को बढ़ाकर 08 हजार रुपए किया जाए।
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मेरा मानना है कि किसी भी क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि के लिए वहां यथेष्ट मानव संसाधन (ह्यूमन रिसोर्सेज), बिजली पानी की सुविधा, ट्रांसपोर्ट एवं यातायात की सुविधा का होना अनिवार्य है। इसके अलावा यह जरूरी है कि उस क्षेत्र में लोग पूंजी निवेश करने के इच्छुक हों।
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मधुबनी में कर्मठ लोगों की कोई कमी नहीं है, पानी की कोई कमी नहीं है, बिजली की उपलब्धता में काफी सुधार आया है, दरभंगा में एयरपोर्ट बनने के कारण लॉजिस्टिक्स की समस्या भी काफी हद तक बेहतर हो गई है। एक बड़ी कमी यहां पर पूंजी निवेशकों की है।
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वर्तमान में प्रशांत किशोर जी के जन सुराज अभियान के साथ जुड़ा हूं, क्योंकि हमारे विचार बहुत मिलते हैं। मेरे सबसे बड़े आइडल नंदन निलेकणी हैं, क्योंकि जिस तरीके से उन्होंने सरकार और सरकारी सिस्टम के साथ मिलकर आधार, यूपीआई, फास्टटैग जैसे क्रांतिकारी परिवर्तन किए, ठीक उसी तरह मैं भी संसदीय व्यवस्था के साथ खुद को जोड़कर मधुबनी का विकास सुनिश्चित करना चाहता हूँ